अलवर में एक बुजुर्ग दंपती के मरने की जिद ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। ट्रेन का इंतजार करते हुए यह कपल जब पटरियों पर लेटा तो तब भी चेहरे पर कोई डर या शिकन नहीं थी। एक-दूसरे का हाथ थामे हुए केवल दूर से आती ट्रेन की गड़गड़ाहट पटरियों पर महसूस करता रहा।

उसे उम्मीद थी कि जिंदगी के इस पड़ाव में अकेलेपन के दर्द से उन्हें आज छुटकारा मिल जाएगा, लेकिन भगवान को शायद यह मंजूर न था। कुछ मीटर दूर पटरियों की मरम्मत में लगे ट्रेडमैन ने उन्हें बचा लिया, लेकिन वह मरने की जिद करते रहे और वहां से जाने से मना कर दिया। आखिरी काफी समझाइश के बाद उन्हें एक वृद्धाश्रम में पहुंचाया गया है।
मामला अलवर के हसन खां मेवात नगर में गुरुवार का है। रेलवे के इंजीनियर डिपार्टमेंट के ट्रेडमैन मुकेश ने बताया कि सुबह करीब आठ बजे ट्रैक पर काम करने के दौरान उसकी नजर पटरी पर लेटे एक बुजुर्ग बाबू सिंह (82) और छोटी देवी (80) पर पड़ी।
जिस ट्रैक पर वे थे उस पर गरीब रथ एक्सप्रेस आ रही थी। रिपयेरिंग के काम के कारण ट्रेन की स्पीड केवल 30 किमी. प्रतिघंटा थी। ये सीन देखते ही मैं कपल की ओर दौड़ा और लोके पायलट से ट्रेन रुकने का इशारा किया। जानकारी के अनुसार बाबू सिंह चौकीदारी करते हैं।
How to Rajasthan Suicide Attempt Case
दोनों भरतपुर के कुम्हेर के किशनपुरा गांव के रहने वाले हैं। दोनों के संतान नहीं है। ऐसे में अलवर शहर में ही झुग्गी बनाकर अपना ठिकाना बना लिया। बुढ़ापे से परेशान पति-पत्नी ने एक साथ मरने की सोची। इसके लिए वे ट्रेन के आगे आकर लेट भी गए, लेकिन स्पीड कम होने की वजह से दोनों की जान बच गई।
हटाया तो बोले हमें मर जान दो
ट्रेडमैन मुकेश कुमार इस घटना के प्रत्यक्षदर्शी ही नहीं बल्कि उस बुजुर्ग दंपती को नया जीवन देने वाले भी हैं। मुकेश ने जब बाबू सिंह और उनकी को वहां से हटाया तो उन्होंने कहा कि उम्र के इस पड़ाव में उन्हें संभालने वाला कोई नहीं है। अब वे चौकीदारी कर थक चुके हैं। उन्हें लगा कि दोनों में से यदि किसी एक की पहले मौत हो गई तो उनका जीवन आगे कैसे निकलेगा। ऐसे में दोनों ने साथ में मरने की सोची।
Rajasthan Suicide Attempt Case
वे बाेले कि चौकीदारी का काम करने का दम नहीं रहा है। हमारा अपना कोई नहीं है। न संतान है न अपना परिवार का कोई चाहता है। भरतपुर के कुम्हेर के किशनपुरा गांव में उनके चाचा-ताऊ के परिवार हैं। लेकिन उनकी कोई संतान नहीं है। न अब खुद का घर है न कोई उनको संभालने वाला। इसलिए उम्र के आखिरी पड़ाव में दोनों एक साथ भगवान के घर जाने के लिए पटरी पर आकर सो गए।

अब गुरुनानक आसरा में मिला सहारा
बुजुर्ग को रेलवे की पटरी से हटाने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता अश्वनी जावली को सूचना मिली। वे उन्हें डबल फाटक के पास स्थित गुरुनानक आसरा वृद्धाश्रम ले गए। यहां दोनों को रखा गया है। अश्वनी जावली ने बताया कि हमनें बुजुर्गों की काउंसिलिंग की है। हमने कह दिया कि आपके हम बच्चे हैं। एल्डर हेल्पलाइन ऐसे लोगों के लिए काम करती है। मैं भी उसका हिस्सा हूं।