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Rajasthan New District: लैला मजनूं की मजार बनेगी इस जिले की पहचान, जानिए क्या है 19 जिलों की नई पहचान

Rajasthan New District : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तो 19 जिलों की घोषणा तो कर दी लेकिन इनकी दुनिया में पहचान कैसे होगी। अब यह तय हो रहा है।

Rajasthan New District

Rajasthan New District : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तो 19 जिलों की घोषणा तो कर दी लेकिन इनकी दुनिया में पहचान कैसे होगी। अब यह तय हो रहा है। अनूपगढ़ में लैला मजनूं की मजार, सलूम्बर में महाराणा प्रताप व हाडी रानी के महल, आसोतरा का ब्रह्मधाम, शाहपुरा की फड़ चित्रकारी, फलोदी का लोकगायन व नेचर टूरिज्म, डीग के जलमहल, मथानिया की मिर्ची, ब्यावर की तिलपट्टी, गंगापुर सिटी का खीरमोहन अपने आप में ब्रांड हैं, लेकिन जिला मुख्यालयों से दूरी के कारण पर्यटन के नक्शे पर खास जगह नहीं बना पाए। नए जिलों में विशिष्ट पहचान होने से इनको नई पहचान मिलने की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।

यों तो राजस्थान की संस्कृति, लोक कला, चित्रकारी, महल, पर्यटन और खान-पान के लिहाज से दुनिया में खास जगह है, लेकिन नए जिलों में बिखरा इनका खजाना कनेक्टिविटी, सुविधाओं के अभाव सहित तमाम कारणों से आमजन की नजरों से दूर है। नए जिलों में क्या खास है, इसकी पड़ताल में पर्यटन महत्व के कई उभरते स्थल सामने आए हैं। इनमें से कई की तो राजस्थान के लोगों को ही जानकारी नहीं है। पर्यटन के लिहाज से खास इन स्थल और उत्पादों को सरकारी तवज्जो मिले तो घरेलू पर्यटन में प्रमुख जगह मिल सकती है। इस प्रयास को केंद्र सरकार की घरेलू पर्यटन को बढ़ावा नीति का भी लाभ मिल सकता है।

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नए जिलों की पहचान

● ब्यावर: तिलपट्टी व गजक की खास पहचान। खनिज क्षेत्र में विशेष स्थान।

● अनूपगढ़: लैला मजनूं की मजार, सिंधु सभ्यता के अवशेष, विलुप्त हो चुकी सरस्वती नदी से जुड़े प्रमाण।

 जोधपुर पूर्व: मेहरानगढ़ फोर्ट, उम्मेद भवन सहित अनेक हैरिटेज इमारतें। प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान होने से शिक्षा के हब के रूप में विकसित होने की भी संभावना।

● जोधपुर पश्चिम: ओसियां के धोरे, लूणी क्षेत्र में विलेज सफारी, मथानिया की मिर्ची सहित अन्य एग्रो उत्पाद। शेरगढ़ की सैनिकों के लिहाज से विशेष पहचान।

 फलोदी: सर्वाधिक कुरजां, सायबेरियन बर्ड खीचन आती हैं। नक्काशीदार हवेलियां, ऐतिहासिक दुर्ग, लोकगायन।
● शाहपुरा: अंतरराष्ट्रीय रामनिवास धाम, बारहठ परिवार का संग्रहालय, किले-बावड़ियां- महल, फड़ चित्रकारी, ढाई इंच के गुलाब जामुन, ज्योतिष के लिहाज से विशेष पहचान, आगूचा में माइंस।

● सांचोर: पथमेड़ा गोशाला, गोलासन में एशिया की सबसे बड़ी नंदी शाला, शीलू में नर्मदेश्वर घाट, हाडेचा में कीर्ति स्तंभ, होती गांव में प्राचीन फुल मुक्तेश्वर महादेव मंदिर।

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● डीडवाना-कुचामन: डीडवाना में नमक झील, नावां का नमक उद्योग व मकराना का मार्बल उद्योग।

● गंगापुर सिटी: खीरमोहन मिठाई की विशिष्ट पहचान होने से रेलवे स्टेशन पर रखने के लिए नोटिफाई किया गया है।

● बालोतरा: सनातनी तीर्थ खेड़, प्रसिद्ध जैन तीर्थ नाकोड़ा, ब्रह्माजी का दूसरा बड़ा मंदिर ब्रह्मधाम आसोतरा , माजीसा मंदिर। धार्मिक पर्यटन के साथ पोपलिन वस्त्र  उद्योग की भी खास पहचान। पचपदरा में अत्याधुनिक रिफाइनरी का निर्माण।

● नीमकाथाना: देश का बड़ा तांबा भण्डार, लाईम स्टोन, आयरन, मार्बल, डोलोमाईट, इमारती पत्थर की प्रचुर उपलब्धता। इनकी लगभग 450 खाने हैं। आयरन ओर की प्रचुरता से बड़ा स्टील प्लांट प्रस्तावित। पत्थरों पर बेजोड़ कारीगरी से तैयार मूर्तियों की देश के बाहर भी मांग।

● कोटपूतली- बहरोड़: नीमराणा फोर्ट, सीमेंट फैक्ट्री से कोटपूतली क्षेत्र की पहचान।

● दूदू: छापरवाड़ा बांध व गंगासागर बांध पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किए जा सकते हैं। दूध उत्पादन में खास स्थान। फागी क्षेत्र में ग्रेनाइट व मार्बल की खान।

● जयपुर उत्तर व जयपुर दक्षिण: जयपुर का पर्यटन नक्शे पर खास स्थान।

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