राजस्थान में अमेरिकी लोगों को ठगने वाले कॉल सेंटर चल रहे थे। जयपुर में चार अलग-अलग जगहों पर रात के समय ये कॉल सेंटर ऑपरेट किए जा रहे थे।
ठगी का तरीका बिल्कुल सिंपल था…
जयपुर के कॉल सेंटर में बैठा 10वीं फेल एक लड़का किसी अमेरिकन सिटीजन को फोन कर खुद को अमेरिकन गवर्नमेंट का ऑफिसर जेम्स बताकर टैक्स नहीं भरने और ट्रैफिक रूल्स तोड़ने पर हजारों डॉलर की पेनल्टी लगाने और एसएसएन (अमेरिकन आधार कार्ड) ब्लॉक करने की धमकी देता। कुछ देर बाद उसी कॉल से अमेरिकन सिटीजन के पास एक और फोन जाता। फोन करने वाला अपना नाम माइकल बताता और कहता कि वह जेम्स से बड़ा अधिकारी है। वह 100 डॉलर में मामला निपटाने का झांसा देता। घबराया अमेरिकन सिटीजन बातों में आ जाता और 100 डॉलर ट्रांसफर कर देता है।

10वीं फेल ठगों का कॉल सेंटर
पुलिस की इंटेलिजेंस टीम को जयपुर की कुछ जगहों से हर दिन अमेरिका कॉल जाने की जानकारी मिली। पुलिस ने लोकेशन ट्रेस करके दबिश दी और चारों फर्जी कॉल सेंटर से 40 लड़के-लड़कियों को गिरफ्तार किया। आरोपियों से पूछताछ में पता लगा कि यह लोग हर महीने अमेरिकन सिटीजन से 1 करोड़ रुपए की ठगी कर रहे थे। ठगी के ये फर्जी कॉल सेंटर 3-4 साल से चल रहे थे।
रात होते ही शुरू होता जाता ठगी का खेल
एडीजी इंटेलिजेंस एस.सिंगाथिर ने बताया कि पिछले कुछ महीनों से इंटेलिजेंस को सूचना मिल रही थी कि जयपुर से रात को कुछ इलाकों से इंटरनेट और सामान्य कॉल अमेरिका जा रही है।
इस पर कॉल को ट्रेस कर लोकेशन देखी गई तो पता चला कि इन जगहों पर कॉल सेंटर चलते हैं। कॉल सेंटर के फोन कॉल्स की डिटेल खंगाली गई तो पता चला कि ये अमेरिका में बैठे सीनियर सिटीजन को फोन कर उनके साथ बैंकिंग फ्रॉड करते थे।
कर्मचारियों को रात के समय नौकरी पर बुलाया जाता था, क्योंकि उस समय अमेरिका में दिन होता है। चारों कॉल सेंटर पर कर्मचारी रात आठ बजे से सुबह होने तक काम करते थे। पुलिस ने भी इन कॉल सेंटर पर रात 12 बजे दबिश देकर सभी आरोपियों को पकड़ा था।
अमेरिकन मोबाइल नंबर से इंटरनेट कॉल करते थे
कॉल सेंटर मालिकों ने कर्मचारियों को अमेरिका के मोबाइल नंबर दे रखे थे। इन मोबाइल नंबर से इंटरनेट कॉल किया जाता था। मोबाइल नंबर अमेरिका के होने के कारण किसी को संदेह भी नहीं होता था। उन्हें लगता था कि कॉल अमेरिका के किसी सरकारी विभाग से आया है। पुलिस ने चारों कॉल सेंटर से 35 मोबाइल और अमेरिकन लोगों की कॉन्टेक्ट लिस्ट भी बरामद की।
डार्क वेब से खरीदते अमेरिकन सिटीजन का डेटा
गिरोह ठगी के लिए सबसे पहले ऑनलाइन डार्क वेब से अमेरिका और अन्य देशों के लोगों का डेटा खरीदता था। इसमें अमेरिकन सिटीजन के नाम, एड्रेस, मोबाइल नंबर, उनके बैंक खाते और इंश्योरेंस पॉलिसी के बारे में जानकारी होती है।
इतना ही नहीं, जॉब प्रोफाइल से लेकर उनके पर्सनल लोन, फैमिली डिटेल भी ले ली जाती है। इसके बाद यह लिस्ट चारों कॉल सेंटर पर दी जाती है। इसके बाद उन नंबरों पर इंटरनेट कॉल कर फंसाया जाता है। पहले फोन पर अमेरिकन को उनके बारे में कुछ डिटेल बताते, जिससे उन्हें विश्वास हो जाता है कि ये फेक कॉल नहीं है।
हर ठगी पर 2 से 5 डॉलर का इन्सेंटिव
अमेरिकन को ठगने के लिए शहर में अलग-अलग जगहों पर चार कॉल सेंटर चल रहे थे। हर कॉल सेंटर पर करीब 10 या उससे ज्यादा कर्मचारी लगा रखे थे। ऐसे लड़के-लड़कियों को ही जॉब पर रखा जाता, जो अमेरिकन एक्सेंट में बात कर सकें। इसके बाद 30 सवाल-जवाब याद करने की ट्रेनिंग दी जाती है। हर ठगी पर 2 से 5 डॉलर का इन्सेंटिव भी दिया जाता है।
ठगी के लिए 2 टीमें- डायलर और क्लोजर
डायलर : फोन करके डराते और धमकाते
डायलर वो होते हैं, जो कॉल सेंटर से सबसे पहले अमेरिका में बैठे शख्स को फोन लगाते हैं। इस फोन पर खुद को आईआरएस या एसएसएन अधिकारी बताते। इंडिया के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरह अमेरिका में इंटरनल रेवेन्यू सर्विस (आईआरएस ) टैक्स कलेक्ट का काम करती है।
कॉल सेंटर में बैठे ठग अमेरिकन सिटीजन को कहते- आपने टैक्स टाइम पर नहीं भरा है। अब आपको हजारों डॉलर्स की पेनल्टी देनी होगी। डायलर को ट्रेनिंग दी जाती कि उन्हें धमकी भरे लहजे में ही बात करनी है। जब अमेरिकन सिटीजन डर जाते तो डायलर उन्हें कुछ ही डॉलर का भुगतान कर मामला निपटाने का ऑफर देते। इसके लिए अन्य अधिकारी से बात करवाने की बात कहते और कॉल क्लोजर को ट्रांसफर कर देते थे।
क्लोजर : इन पर डील फाइनल करने का जिम्मा
डायलर के फोन पर धमकाने और ऑफर देने के बाद अमेरिकन शख्स से बात करके डील को क्लोज करने का जिम्मा क्लोजर का होता। क्लोजर फोन पर खुद को बड़ा अधिकारी बताता और अमेरिकन सिटीजन से कहता- आपको हजारों डॉलर की पेनल्टी से बचना है तो कुछ डॉलर का भुगतान कर दो। हम फाइल को क्लोज कर देंगे।
यह टीम अमेरिकन सिटीजन को उनकी मदद करने का झांसा देती। जब अमेरिकन सिटीजन झांसे में आ जाते तो ऑनलाइन गिफ्ट वाउचर देने के लिए कहते। इसके बाद अमेरिकन से गूगल, ईबे, अमेजन के गिफ्ट वाउचर के नंबर लेकर यह पैसा अपने खाते में जमा करवा लेते।
दो तरीकों से पैसे इंडिया में लाते
पहला : हवाला के जरिए
ठगी के कॉल सेंटर चलाने वाला गिरोह गिफ्ट वाउचर को बैंक अकाउंट में जमा करवाता। बैंक अकाउंट दूसरे लोगों के होते, उन्हें पैसे ट्रांसफर करवाने के लिए कमीशन देते थे। इसके अलावा फर्जी बैंक खातों में भी पैसे ट्रांसफर किए जाते। इसके बाद बैंक खातों से यह पैसा हवाला के जरिए इंडिया में लाया जाता है।
दूसरा : वायर ट्रांसफर के जरिए
ठग अमेरिका में ऑनलाइन सर्वर किराए पर लेते। इसके जरिए रिमोट पीसी एक्सेस कर स्थानीय आईपी एड्रेस को काम में लेते। इससे बैंक को संदेह नहीं होता है कि वायर ट्रांजैक्शन किसी अन्य देश की आईपी एड्रेस पर किया जा रहा है। गिरोह के सरगना इतने शातिर हैं कि वायर ट्रांजैक्शन से विभिन्न बैंकों में शॉप एक्ट के तहत फर्म रजिस्टर्ड करवाकर रखते। इसके बाद बैंक में अकाउंट खुलवा कर पैसे अकाउंट में जमा करवा लेते हैं।
इस तरह भी करते थे ठगी
एजुकेशन स्कीम का झांसा देते
अमेरिकन सिटीजन को बच्चों की एजुकेशन की नई पॉलिसी या स्कीम देने का झांसा देते। लोग बच्चों की एजुकेशन के लिए गिरोह के झांसे में आ जाते। इस पर गिरोह वाले स्कीम में रजिस्ट्रेशन के लिए 200 डॉलर मांगते। यह 200 डॉलर ऑनलाइन गिफ्ट वाउचर के जरिए लेते थे।
टेक्निकल हेल्प के बहाने ठगी
कॉल सेंटर के ठग अमेरिका व कनाडा के लोगों को तकनीकी सहायता देने के लिए संपर्क करते। कई तरह के एंटी वायरस इंस्टॉल करने व अन्य सहायता के लिए पॉपअप भेजते। इसी के जरिए कंप्यूटर में तकनीकी समस्या पैदा कर देते। उसके बाद उसके बाद मदद के नाम पर 200-500 डॉलर ठग लिए जाते।
इन कॉल सेंटर पर हुई कार्रवाई
पुलिस कमिश्नरेट की सीएसटी टीम ने बुधवार रात 12 बजे शहर में अलग-अलग जगहों पर दबिश देकर चार फर्जी कॉल सेंटर से 40 युवक-युवतियों को गिरफ्तार किया।
- अंकित सैनी निवासी मनोवसर निवासी करणी विहार थाना के अमलताश अपार्टमेंट में कॉल सेंटर चला रहा था। यहां से 7 कर्मचारियों को गिरफ्तार कर 7 लैपटॉप, 8 मोबाइल फोन, 6 हेडफोन, 1 मोडेम एवं अन्य सामान जब्त किया गया है।
- लेखसिंह राजपुरोहित निर्माण नगर निवासी कमला नेहरू नगर भांकरोटा में सेंटर चला रहा था। यहां 10 कर्मचारियों को गिरफ्तार कर 7 कम्प्यूटर, 9 लैपटॉप, 8 मोबाइल फोन, 14 हेडफोन, 1 मोडेम समेत अन्य सामान जब्त किया गया।
- मोहित सैनी परबतसर नागौर निवासी, चित्रकूट में कॉल सेंटर चला रहा था। यहां से 9 कर्मचारियों के साथ 7 लैपटॉप, 8 मोबाइल, 1 मोडेम मिला है।
- वैभव जगतपुरा निवासी रामनगरिया में सेंटर चला रहा था। यहां से 14 कर्मचारी काम करते मिले। सेंटर से 9 लैपटॉप, 11 मोबाइल, 9 हेडफोन, 5 मोडेम एवं अन्य सहायक सामग्री जब्त की गई।