जोधपुर में हिंसा भड़कने के बाद 7 साल की एक बच्ची उपद्रवियों के बीच फंस गई। वह अपने घर के बाहर खड़ी थी तभी कुछ युवक लाठी-डंडा लेकर निकले थे। 7 साल की बच्ची अपने पापा की दुकान के बाहर खड़ी थी। इन युवकों की नजर बच्ची पर पड़ी। लाठी लेकर वो दौड़े। बच्ची कुछ समझ पाती, इससे पहले ही लाठी से हमला बोल दिया। पड़ोस के किराना व्यवसायी ने अपनी जान की परवाह नहीं की और उस बच्ची की ओर दौड़े। बच्ची पर किए गए लाठी का वार व्यवसायी ने अपने पर ले लिया। इसके बाद उपद्रवियों ने उस पर लाठी से कई वार किए। उसके पीठ और कमर पर गंभीर चोटें आई हैं।
घटना मंगलवार सुबह करीब 11 बजे भीतरी शहर का है। पूरा मोहल्ला, भजन की चौकी में पवन सिंघवी का मकान है। उन्हें नहीं पता था कि शहर के बाहर क्या चल रहा है। वो इससे बेफिक्र थे कि दंगे की आग उनके घर तक भी पहुंच जाएगी। 8 साल की बच्ची माननीया सिंघवी घर के बाहर खड़ी थी। स्थानीय लोगों को भनक लग चुकी थी कि कुछ लोग मोहल्ले की तरफ बढ़ रहे हैं। ऐसे में अचानक माननीया पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया। पड़ोसी दुकानदार अजय पुरोहित ने उसे बचाया।

पिता बोले- मेरी बच्ची को मारने के लिए बढ़े थे, एक भाई ने जान बचा दी
दैनिक भास्कर रिपोर्टर ने बच्ची के पिता पवन सिंघवी से बातचीत की तो पूरा मामला सामने आया। पवन सिंघवी ने बताया कि सुबह 11 बजे की बात है। मेरी बच्ची घर में थी। पास में ही मेरी दुकान है। बच्ची मुझे कहने आई थी कि पापा खाना खा लो।
इसी दौरान 15 से 20 मिनट में ही बहुत से लोग लाठियां और सरिया लेकर हमारी तरफ भागते हुए आए। भीड़ को देख वह डर गई। वह बच्ची को मारने चले। इतने में अजय पुरोहित बीच में आ गए। उन्होंने मेरी गुड़िया को बचाया। उपद्रवियों ने उन्हें डंडे से काफी मारा। बच्ची डर गई है। वह बोल नहीं पा रही है। शादी समारोह के लिए बेंगलुरु के टिकट थे। हम बच्ची को लेकर वहीं जा रहे हैं।

बच्ची के सिर पर मारने वाले थे, लेकिन उसे बचा लिया
बच्ची को बचाने वाले अजय पुरोहित से भी बातचीत हुई। अजय पुरोहित भी पवन सिंघवी की दुकान के सामने छोटी सी किराने की दुकान चलाते हैं। अजय ने बताया कि अचानक से यह लोग लाठी और सरिया लेकर सामने आए। सामने आने वाले लोगों को मारना शुरू कर दिया। मोहल्ले की कई दुकानें भी लुटी। बच्ची और उसके पापा दुकान के पास खड़े थे।
तभी वे दुकान में घुसे और डंडे से दुकान में तोड़-फोड़ करना शुरू कर दिया। बच्ची के पिता उनके सामने हो गए तो बच्ची शटर के पास जाकर खड़ी हो गई। मैं सामने अपनी दुकान में यह देख रहा था। उपद्रवी बच्ची को मारने के लिए दौड़े। वे बच्ची के सिर पर वार करने वाले ही थे कि मैं बच्ची पर कूदा। उसे जैसे-तैसे कर सामने वाले घर में घुसा दिया। दंगाइयों ने मेरी जमकर पिटाई की। बच्ची बच गई, तो उन्होंने मुझे बुरी तरह से पीटा।